नई दिल्ली. जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर अबरार अहमद को 15 गैर मुस्लिम छात्रों को फेल करने का आरोप में सस्पेंड कर दिया गया है। अबरार ने 25 मार्च की सुबह एक ट्वीट में 15 गैर मुस्लिम छात्रोंं को फेल करने का दावा किया था। विवाद बढ़ा तो दोपहर में इसे डिलीट कर दिया। सस्पेंड होने के बाद प्रोफेसर अबरार ने कहा कि उन्होंने मजाक में यह ट्वीट किया था। अहमद के मुताबिक, “ न तो ऐसी कोई परीक्षा हुई, न ही परिणाम आया। यह सिर्फ एक मुद्दे को समझाने के लिए ट्वीट किया था।” अबरार ने कहा कि ट्वीट के जरिए वो यह बताना चाह रहे थे कि सरकार नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के माध्यम से सिर्फ एक धर्म विशेष के लोगों से भेदभाव कर रही है।
अबरार ने 25 मार्च को एक अन्य ट्वीट किया था, जिसमें कहा था, ‘‘गैर मुस्लिम छात्रों ने आंदोलन खत्म नहीं किया। मेरे समर्थन में 55 छात्र हैं। बहुमत हमारे साथ है। इससे सीएए का समर्थन कर रहे गैर मुस्लिमों को सबक सिखाया जाएगा। कोरोना के चलते तुम्हारे आंदोलन के निशान मिट गए हैं। मैं हैरान हूं कि आपको मुझसे इतनी नफरत क्यों है?'’
12 साल में मुझ पर भेदभाव का कोई आरोप नहीं लगा
विवाद बढ़ने के बाद प्रोफेसर ने विवादित ट्वीट डिलीट कर दिया था। बाद मेें उन्होंने सफाई दी। कहा, “ मैं 12 साल से पढ़ा रहा हूं, लेकिन एक भी छात्र ने मुझ पर कभी भेदभाव का आरोप नहीं लगाया।”
जांच जारी रहने तक निलंबित रहेंगे प्रोफेसर
यूनिवर्सिटी ने ट्वीट कर प्रोफेसर को सस्पेंड किए जाने की जानकारी दी। कहा, “अबरार का दावा गंभीर और अस्वीकार्य है। जांच पूरी होने तक उन्हें निलंबित किया जाता है।” बता दें कि जामिया में सीएए का विरोध किया गया था।