ऐतिहासिक घाटे के बाद बैंकों के लिए सबसे बड़ा एनपीए बन सकती है वोडाफोन-आइडिया
कॉर्पोरेट इतिहास का सबसे बड़ा तिमाही घाटा होने के बाद वोडाफोन-आइडिया बैंकों के लिए सबसे बड़ा घाटा बन सकती है। अगर कंपनी अपने समायोजित एकल राजस्व (एजीआर) का भुगतान सरकार को नहीं करती है और डिफॉल्टर होती है, तो सरकार इस कंपनी को मिली बैंक गारंटी को वापस ले सकती है। ऐसे में कंपनी का दिवालिया होना बैंकों के लिए मुसीबत बन सकता है।
बैंकों ने दिया है एक लाख करोड़ रुपये का लोन
वोडाफोन-आइडिया को बैंकों ने एक लाख करोड़ रुपये का लोन दे रखा है। यह राशि बैंकों ने कंपनी के फंड और अन्य मदों में निवेश कर रखी है। इस राशि में ज्यादातर हिस्सा बैंक गारंटी के तौर पर दिया गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि कंपनी का कैपिटल एक्सपेंडिचर न के बराबर है। कंपनी के ज्यादातर खर्च सरकार को भुगतान करने में होता है।
कंपनी पर है इतने करोड़ रुपये की देनदारी
वोडाफोन-आइडिया ने बयान जारी करते हुए कहा है उसके पास करीब 27610 करोड़ रुपये की लाइसेंस फीस के तौर पर 30 सितंबर 2019 तक देनदारी थी। इसके अलावा 16540 करोड़ रुपये स्पेक्ट्रम प्रयोग के तौर पर और 33010 करोड़ रुपये ब्याज, जुर्माना और ब्याज पर लगे जुर्माने के तौर पर देना है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इसका 90 दिन के अंदर भुगतान करना है।
लोन में बदल जाएगी देनदारी
कंपनी के सूत्रों ने बताया कि अगर एजीआर का भुगतान कंपनी 90 दिनों में नहीं करती है तो फिर सरकार बैंकों द्वारा दी गई गारंटी को लोन में बदलने के कहेगी। वोडाफोन और आइडिया पहले ही कह चुकी हैं, कि वो इस संयुक्त उद्यम में किसी तरह की नई पूंजी का निवेश नहीं करेगी। दोनों कंपनियों ने कहा है कि लोन चुकाने से अच्छा खुद को दिवालिया घोषित करना पसंद करेंगी।
ऐसे में जब कंपनी किसी भी लोन का भुगतान करने की स्थिति में नहीं होगी तो बैंकों को इसे लोन को एनपीए में तब्दील करना पड़ेगा।
ऐसे में जब कंपनी किसी भी लोन का भुगतान करने की स्थिति में नहीं होगी तो बैंकों को इसे लोन को एनपीए में तब्दील करना पड़ेगा।
सबसे ज्यादा एसबीआई ने दिया है लोन
टेलीकॉम सेक्टर में सबसे ज्यादा लोन एसबीआई ने दिया हुआ है। 11 बैंकों ने टेलीकॉम कंपनियों को कुल 1.5 लाख करोड़ रुपये का लोन दिया है। स्टेट बैंक ने 37330 करोड़ रुपये दे रखे हैं। वहीं एचडीएफसी बैंक ने 24515 करोड़ रुपये, एक्सिस बैंक ने 17135 करोड़ रुपये, यूनियन बैंक ने 15346 करोड़ रुपये, बैंक ऑफ बड़ौदा ने 11471 करोड़ रुपये, पंजाब नेशनल बैंक ने 7318 करोड़ रुपये, आईडीबीआई बैंक ने 6172 करोड़ रुपये, केनरा बैंक ने 6080 करोड़ रुपये, यस बैंक ने 5908 करोड़ रुपये, कोटक महिंद्रा बैंक ने 4676 करोड़ रुपये और इंडसइंड बैंक ने 2484 करोड़ रुपये का लोन देश भर में मौजूद सभी टेलीकॉम कंपनियों दे रखा है।
वोडाफोन आइडिया पर 17100 करोड़ रुपये की देनदारी
वोडाफोन आइडिया को 31 मार्च 2019 को समाप्त हुए वित्त वर्ष में कुल 17100 करोड़ रुपये की देनदारी थी। इसका उल्लेख कंपनी ने अपनी बैलेंस शीट में भी कर रखा है। कंपनी ने देनदारी चुकाने के लिए तब 4300 करोड़ रुपये का मद रखा था। कंपनी की सकल देनदारी कुल 1.22 लाख करोड़ रुपये थी, जिसमें से 90700 करोड़ रुपये स्पेक्ट्रम देनदारी और 31 हजार करोड़ रुपये गैर स्पेक्ट्रम देनदारी है।
एयरटेल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि एजीआर का 90 दिनों के भीतर भुगतान करना कंपनियों के साथ ही बैंकों के लिए भी एक बड़ी समस्या बन सकता है। अगर बैंक गारंटी लोन में तब्दील होने के बाद एनपीए बनती है तो इससे बैंक ग्राहकों पर भी असर पड़ेगा।
कंपनियां सरकार से मांग कर रही हैं कि एजीआर का भुगतान करने के लिए 90 दिन की समय सीमा को बढ़ाकर के कम से 20 साल किया जाए। ऐसा न होने पर कंपनियों के लिए अपना कारोबार चालू रखना मुश्किल हो सकता है।
एयरटेल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि एजीआर का 90 दिनों के भीतर भुगतान करना कंपनियों के साथ ही बैंकों के लिए भी एक बड़ी समस्या बन सकता है। अगर बैंक गारंटी लोन में तब्दील होने के बाद एनपीए बनती है तो इससे बैंक ग्राहकों पर भी असर पड़ेगा।
कंपनियां सरकार से मांग कर रही हैं कि एजीआर का भुगतान करने के लिए 90 दिन की समय सीमा को बढ़ाकर के कम से 20 साल किया जाए। ऐसा न होने पर कंपनियों के लिए अपना कारोबार चालू रखना मुश्किल हो सकता है।
टेलीकॉम सेक्टर हो सकता है वित्तीय मोर्चे पर और बेहाल
कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग लिमिटेड के वाइस प्रेसीडेंट और हेड ऑफ रिसर्च डा. रवि सिंह ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से पहले से ही बेहाल चल रहे टेलीकॉम सेक्टर की हालत और खराब हो सकती है। अभी जितनी कंपनियां इस सेक्टर में कार्यरत हैं, उन पर चार लाख करोड़ रुपये का बकाया है। नए निर्णय से इन कंपनियों को 1.3 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त बकाया बढ़ जाएगा।
सरकार को टेलीकॉम सेक्टर को राहत देने के लिए कुछ ठोस कदम उठाने पड़ेंगे, नहीं तो इससे डिजिटल इंडिया के कदमों पर ब्रेक लग जाएगा। जिन 16 कंपनियों को एजीआर का भुगतान करना है, उनमें से ज्यादातर बंद हो गई हैं। इससे बाकी कंपनियों पर अतिरिक्त बोझ आ गया है, जिसको कम करने के लिए सरकार की तरफ से गठित पैनल को कार्य करना चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता है तो फिर कंपनियों की वित्तीय मोर्चे पर हाल और बेहाल हो सकता है।
सरकार को टेलीकॉम सेक्टर को राहत देने के लिए कुछ ठोस कदम उठाने पड़ेंगे, नहीं तो इससे डिजिटल इंडिया के कदमों पर ब्रेक लग जाएगा। जिन 16 कंपनियों को एजीआर का भुगतान करना है, उनमें से ज्यादातर बंद हो गई हैं। इससे बाकी कंपनियों पर अतिरिक्त बोझ आ गया है, जिसको कम करने के लिए सरकार की तरफ से गठित पैनल को कार्य करना चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता है तो फिर कंपनियों की वित्तीय मोर्चे पर हाल और बेहाल हो सकता है।